महाविद्यालय कंक्रीट से निर्मित निर्जीव भवन नहीं बल्कि प्रज्ञा की प्रयोगशाला होता है। इस प्रयोगशाला से एस. रामानुजम्, होमी जहांगीर भाभा, जगदीश चंद्र बसु एवं सीवी रमन जैसी प्रतिभाएं तैयार होती हैं। ऐसी ही प्रतिभाओं से पूरा विश्व गौरवान्वित होता है।
यह महाविद्यालय भी शिक्षा के माध्यम से संस्कारित युवा पीढ़ी के निर्माण के लिए कृत संकल्पित है। महाविद्यालय के शिव संकल्पों की पूर्ति अनुशासित छात्रों, कर्मठ कर्मचारियों एवं समर्पित शिक्षकों के अथक प्रयासों से ही संभव है। स्थापना काल से ही महाविद्यालय प्रज्ञा की प्रयोगशाला के रूप में प्रतिभाओं को गढ़ने के कार्य में अहर्निश लगा हुआ है। हर विद्यार्थी सरस्वती के इस पावन मंदिर का रक्षक एवं पुजारी है। महाविद्यालय परिसर को स्वच्छ बनाए रखना एवं स्वस्थ वातावरण का सृजन करना संपूर्ण महाविद्यालय परिवार की महती जिम्मेदारी है।
नए सत्र में हमारे विद्यार्थी नवीन ऊर्जा एवं नव स्फूर्ति के साथ विद्याध्ययन के अनुष्ठान को पूर्णतः प्रदान करते हुए राष्ट्र के नवनिर्माण में अपना सहयोग प्रदान करेंगे और महाविद्यालय तथा समाज को गौरवान्वित करेंगे, ऐसा पूर्ण विश्वास है।
डॉ० जी०पी० वर्मा
एम.ए., पी.एच.डी.